रातों का सफ़र

आज कल रात गुजरती है ऐसे
जैसे गुनाहों की सज़ा मिल रही हो...

हर रात यही सावल आता है,
तू अपना समय कहा बिताता है ?

हर रात यही आवाज़ आती है,
तूने अपना समय क्यों और किस तरह बर्बाद किया ?

हर रात यही बात पूछता हु खुद से 
आखिर क्यू लोगों की बातों पे ध्यान दिया ?


हर रात यही बात सुनाई देती है, 
कि अभी तो समय बर्बाद नही करता है,
लोगों की बातों पर ध्यान तो नहीं देता ?


हर रात खुद से सवाल जवाब करता हु,
क्या जो कर रहा हु सही कर रहा हु,
कही फिर तो नहीं भटक रहा किसी रहो में ?
A silent person ✍️

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