राही की राह - 2

~एक राही~
अकेला और तन्हा चल रहा हूं 
कभी हार रहा हूं कभी जीत रहा हूं 
मंजिल पता है राहों में भटक रहा हूं
मैं खुद से ही खुद के लिए लड़ रहा हूं 
खुद को खुद के अतीत से बेहतर कर रहा हूं 
जी रहा हूं मर रहा हूं खुद के अंदर ही गुम हो रहा हूं 
तुम्हारे संग जीने के लिए अकेला और तन्हा चल रहा हूं ...!
A silent person ✍️

Comments

Popular Posts